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Manch Of Vishwakarma Society
Sr.No | Society Name | City | Total Member |
---|---|---|---|
1 | SHRI VIRAT VISHWAKARMA SAMAJ SANGTHAN BHOPAL | Bhopal ( Bhopal - Madhya Pradesh - India) | 0 |
2 | JAMSHEDPUR VISHWKARMA SAMAJ | Jamshedpur ( Purbi Singhbhum - Jharkhand - India) | 0 |
3 | SHREE VISHWAKARMA KALYAN SANGH CHARITABLE TRUST | Asansol ( Barddhaman - West Bengal - India) | 1 |
4 | VISWHWAKARMA SEVA ASHRAM | Nagpur ( Nagpur - Maharashtra - India) | 1 |
5 | SHREE VISHWAKARMA LOKSEVA PRATISHTHAN , PUNE | Pune ( Pune - Maharashtra - India) | 1 |
Manch Of Samaj Sevak
Sr.No | Photo | Name | Phone No | City |
No Record found |
Manch Of Society Member
Sr.No | Photo | Name | City |
1 | |
Mr. Praveen kumar sharma | Kolkata |
2 | |
Mr. Rajesh kumar sharma | Jamshedpur |
3 | |
Mr. Shankar vishwakarma | Jhumri tilaiya |
4 | |
Mr. Dinesh chandra vishwakarma | Jamshedpur |
5 | |
Mr. Rajesh sharma | Howrah |
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--- पूरी दुनिया को रचाने वाले रचयिता है भगवान विश्वकर्मा---
हम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करेंगें तो पायेगें कि आदि काल से ही भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का इंजीनियर माना गया है। इसका मतलब यह है कि पूरी दुनिया का ढांचा उन्होंने ही तैयार किया है। वे ही प्रथम आविष्कारक थे। यही कारण है की मानवों तथा देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है ।
भगवान विश्वकर्मा ने मानव को सुख-सुविधाएं प्रदान करने के लिए अनेक यंत्रों व शक्ति संम्पन भौतिक साधनों का निर्माण किया एवम प्राचीन समय में स्वर्ग लोक, इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पांडवपुरी, सुदामापुरी और शिवमंडलपुरी लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर जैसे नगरों आदि का निर्माण किया । पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं भी इनके द्वारा निर्मित हैं । कर्ण का कबज-कुंडल, विष्णुजी का सुदर्शन चक्र, शंकरजी का त्रिशूल और यमराज का कालदंड इत्यादि वस्तुओं का निर्माणकर्ता भी भगवान विश्वकर्मा ही थे।

- परमेश्वर विश्वकर्मा के पाँच पुत्रं -
- मनु, मय, त्वष्ठा, शिल्पी और देवज्ञ -
ये “सानग” गोत्र के कहे जाते है । ये लोहे के कार्य के उध्दगाता है । इनके वशंज लोहकार [ Black Smith ] के रुप मे जानें जाते है । इनका विवाह अंगिरा ऋषि की कन्या कंचना के साथ हुआ था इन्होने मानव सृष्टि का निर्माण किया है । इनके कुल में अग्निगर्भ, सर्वतोमुख, ब्रम्ह आदि ऋषि उत्पन्न हुये है
ये “सनातन” गोत्र कें कहें जाते है । ये काष्ट, कार्य के उध्दगाता है । इनके वंशंज काष्टकार [ Carpenter ] के रुप में जाने जाते है । इनका विवाह परासर ऋषि की कन्या सौम्या देवी के साथ हुआ था । इन्होने इन्द्रजाल सृष्टि की रचना किया है । इनके कुल में विष्णुवर्धन, सूर्यतन्त्री, तंखपान, ओज, महोज इत्यादि महर्षि पैदा हुए है ।
ये “अहंभन” गोत्र कें कहें जाते है । ये पीतल, ताम्र कांशा के कार्य के उध्दगाता है। इनके वंशज ताम्रक [ Bronze Smiths ] के रूप में जाने जाते है। इनका विवाह कौषिक ऋषि की कन्या जयन्ती के साथ हुआ था । इनके कुल में लोक त्वष्ठा, तन्तु, वर्धन, हिरण्यगर्भ शुल्पी अमलायन ऋषि उत्पन्न हुये है । वे देवताओं में पूजित ऋषि थे ।
ये “प्रयत्न” गोत्र कें कहें जाते है । इनके वशंज शिल्पकला के अधिष्ठाता है। और इनके वंशज मुर्तिकार [ Sculptors ] भी कहलाते है।इनका विवाह भृगु ऋषि की करूणा के साथ हुआ था । इनके कुल में बृध्दि, ध्रुन, हरितावश्व, मेधवाह नल, वस्तोष्यति, शवमुन्यु आदि ऋषि हुये है । इनकी कलाओं का वर्णन मानव जाति क्या देवगण भी नहीं कर पाये है ।
ये “सुर्पण” गोत्र कें कहें जाते है । इनके वशंज स्वर्णका [ Gold Smith ] के रूप में जाने जाते हैं। ये रजत, स्वर्ण धातु के शिल्प कार्य के उध्दगाता है इनका विवाह जैमिनी ऋषि की कन्या चन्र्दिका के साथ हुआ था । इनके कुल में सहस्त्रातु, हिरण्यम, सूर्यगोविन्द, लोकबान्धव, अर्कषली इत्यादी ऋषि हुये ।
भगवान विश्वकर्मा के ये पाँचो पुत्रं लोकहित के लिये अपनी छीनी, हथौडी और अपनी उँगलीयों से निर्मित कलाये दिखा कर दर्शको को चकित कर देती है । उन्होने अपने वशंजो को कार्य सौप कर अपनी कलाओं को सारे संसार मे फैलाया और आदि युग से आजतक अपने-अपने कार्य को सभालते चले आ रहे है । इनकी सारी रचनाये लोकहित कारणी हैं। इसलिए ये पाँचो वन्दनीय ब्राह्मण है , और यज्ञ कर्म करने वाले है। इनके बिना कोई भी यज्ञ नहीं हो सकता।
विश्वकर्मा समाज का लघु सर्वेक्षण 2011
सर्वेक्षक सर्वेक्षक अजय कुमार शर्मा कोलकाता से, सुरेश शर्मा मुगमा धनबाद से, जयप्रकाश शर्मा जमशेदपुर से, इन तीनों ने 2011 में जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची, हजारीबाग, बरही, गया, पटना, समस्तीपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, भागलपुर, डेहरी-ऑन-सोन, कानपूर, इलाहाबाद, लखनऊ, दिल्ली, भिलाई, नागपुर, बीरगंज [ नेपाल ] । इन सब जगहों पर जा कर विश्वकर्मा समुदाय के लोगों का सर्वेक्षण किया । इन तीनों के सर्वेक्षण से यह पता चला की अपने विश्वकर्मा समाज में बहुत तरह की समस्याएं है । समाज के लोग छोटे-छोटे टुकड़े में बंटे हुये हैं । एक ही शहर में रहते हुए भी लोगों का आपस में परिचय नही है । हमारे सर्वेक्षक वहां पर चल रही विश्वकर्मा समाज के संस्थाओं के पदाधिकारियों और समाज सेवकों से मिले और उन से बातचीत की तो उन्हें पता चला की ज्यादातर जगहों पर विश्वकर्मा समाज के संस्था और समाज सेवक, समाज के समस्याओं को दूर करने में लगे हुए हैं और समाज विकास के लिए अच्छा कार्य कर रहे हैं। समाज के लोग भी तन, मन, धन, से समाज के विकास के लिए तैयार हैं । समाज में एक दूसरे से संपर्क और संचार व्यवस्था की सब से बड़ी कमी है और इसी कमी को दूर करने के लिए यह वेवसाइट बनाया गया है। इस वेवसाइट के माध्यम से विश्वकर्मा समाज के लोगों में आपसी परिचय बढेगा और आने वाले समय में बच्चों के विवाह करने मे सहायता मिलेगी ।


